नाग पंचमी 2025: जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और देशभर की तैयारियां

कब मनाई जाएगी नाग पंचमी 2025?

नाग पंचमी का पावन पर्व इस वर्ष 29 जुलाई 2025, मंगलवार को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। यह पर्व श्रावण मास में मनाया जाता है, जिसे भक्ति और तपस्या का महीना माना जाता है। पंचांग के अनुसार, पंचमी तिथि 28 जुलाई रात 11:24 बजे शुरू होकर 30 जुलाई दोपहर 12:46 बजे समाप्त होगी। चूंकि सूर्योदय के समय पंचमी तिथि 29 जुलाई को रहेगी, अतः इसी दिन पूजा करनाश्रेष्ठ रहेगा।

नाग पंचमी 2025

नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त और महत्व

नाग पंचमी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 29 जुलाई को सुबह 05:41 से 08:23 बजे तक रहेगा। यह कुल 2 घंटे 43 मिनट का अत्यंत शुभ समय है। इस दिन मंगला गौरी व्रत का भी विशेष योग बन रहा है, जिससे इस दिन का धार्मिक महत्व और भी अधिक हो गया है। नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से सर्प दोष, काल सर्प दोष, और राहु-केतु के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं।

देशभर में विशेष तैयारियां, उज्जैन में भक्तों की भीड़

देशभर में नाग पंचमी को लेकर मंदिरों और घरों में तैयारियां ज़ोरों पर हैं। विशेष उत्साह उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में देखने को मिल रहा है। यहां स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के साल में केवल एक बार दर्शन होते हैं — सिर्फ नाग पंचमी पर। प्रशासन ने लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा और दर्शन की विशेष व्यवस्था की है। अन्य राज्यों जैसे गोवा, महाराष्ट्र आदि में भी पारंपरिक रूप से पूजा की तैयारियां चल रही हैं।

नाग पंचमी की पूजा विधि और धार्मिक संदेश

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान को साफ कर नाग देवता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। गाय के गोबर से नाग का आकार बनाकर भी पूजा की जाती है। उन्हें दूध, चंदन, हल्दी, फूल, और अक्षत अर्पित करें। दीपक जलाकर ‘ॐ नमः शिवाय’ या ‘ॐ भुजंगेशाय विद्महे…’ मंत्र का जाप करें।

कई भक्त व्रत रखते हैं और केवल सात्विक भोजन करते हैं। हालांकि सांपों को सीधे दूध पिलाने की बजाय, पात्र में दूध अर्पित करने की सलाह दी जाती है, ताकि उनका स्वास्थ्य प्रभावित न हो।

भारतीय संस्कृति का प्रकृति प्रेम और करुणा

नाग पंचमी केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रकृति और जीवों के प्रति करुणा का प्रतीक है। यह त्योहार हमें संवेदनशीलता, संतुलन और संरक्षण का संदेश देता है — जो भारतीय संस्कृति का मूल भाव है।

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